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जीवन क्या है और यह क्यों मिला है। व्यक्ति के मन में इसी प्रकार के तमाम सवाल चलते हैं। मोक्ष प्राप्ति के लिए मनुष्य क्या नहीं करता फिर भी अपने पथ से भटक कर पाप
के मार्ग पर चला जाता है। जीवन में सबसे बड़ा कष्ट देने वाला मात्र एक शब्द 'मैं' है। जब तक मन से इसे नहीं निकाला जाएगा जब तक इस संसार के मरहम का बोध नहीं होगा।
मैं करने वाला हूँ ! जब तक यह भाव रहेगा आपकी चिंता अशांति मिटने वाली नही है। मैं करने वाला हूँ ! इस भाव में ही आपका अहंकार है और जहां अहंकार है वहां मोह है, क्रोध है,
विषमता है, दुख है, द्वेष और अशांति है।

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